Ticker

6/recent/ticker-posts

सरदार वल्लभ भाई पटेल जीवन परिचय | Vallabhbhai Patel Biography in Hindi

सरदार वल्लभभाई पटेल एक भारतीय वकील, प्रभावशाली राजनीतिक नेता अथवा एक बैरिस्टर थे। उनका जन्म 13 अक्टूबर 1875 ईस्वी को भारत के गुजरात नामक राज्य में हुआ था। उनका पूरा नाम सरदार वल्लभभाई झवेरभाई पटेल था। वल्लभ भाई पटेल के पिता का नाम झवेरभाई था, जिंदगी एक कृषक थे। अथवा उनके माता का नाम लाडबा देवी था,उनकी माता एक सामान्य ग्रहणी थी। वल्लभभाई पटेल जी का पालन - पोषण गुजरात के ग्रामीण इलाके में हुआ था।

Vallabhbhai Patel Biography in Hindi

शिक्षा

उनका आरंभिक शिक्षा अपने गांव में ही संपन्न हुआ था। मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण  करने के बाद वे उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे। उन्होंने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की अथवा बाद में वे पुन: भारत आकर अहमदाबाद में वकालत शुरु किए थे। वल्लभ भाई पटेल जी एक सफल वकील थे। वल्लभभाई पटेल जी स्वतंत्र भारत के उपप्रधानमंत्री अथवा प्रथम गृह मंत्री थे। उन्हें "भारत का एकीकरणर्ता" भी कहा जाता है। वल्लभ भाई पटेल जी बचपन से ही कड़ी मेहनत करते आए थे, बचपन से ही वे एक परिश्रमी था। वे बचपन से ही अपने पिता की खेती में सहायता करता था। वह पेटलाद की एन. के. हाई स्कूल में पढ़ता था। उन्होंने 1896 ईस्वी में अपनी हाई - स्कूल की परीक्षा प्राप्त किया था। वे स्कूल के वक्त से ही एक हुशार अथवा विद्वान थे। वल्लभ भाई पटेल जी के पिता ने घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण भी उन्हें कॉलेज भेजने का फैसला लिया था। परंतु वल्लभभाई पटेल जी ने कॉलेज जाने से मना कर दिए थे। उसके बाद उन्होंने लगभग 3 वर्ष तक घर पर ही रह कर वे कठिन मेहनत करके जिले के नेता बनने के लिए परीक्षा पास करने के लिए तैयारी कर रहे थे, और वह अपने परीक्षा अच्छे गुणों से पास भी कर लिए थे।

बैरिस्टर के रूप में जीवन 

उन्होंने बड़ी ही मेहनत से बैरिस्टर की उपाधी संपादन कर लिए थे। अथवा साथ ही में देश सेवा में कार्य करने लगे थे। वल्लभ भाई पटेल जी एक भारतीय बैरिस्टर अथवा राजनेता थे, अथवा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य नेताओं में से एक महान नेता थे। अथवा भारतीय गणराज्य के  संस्थापक जिसमे में से एक था। वल्लभ भाई पटेल जी एक सामाजिक कार्यकर्ता थे, जिन्होंने देश की आजादी को दिलाने के लिए बहुत कड़ा संघर्ष किया था। अथवा देश को एकता के सूत्र में बांधने में उन्होंने काफी योगदान दिए थे। वल्लभभाई पटेल जी भारत को एकता के सूत्र में बांधने अथवा आजाद  बनाने को  सपना देखे थे। भारत अथवा दूसरी जगह पर वह सरदार के नाम से भी जाना जाता था।

उपाधियाँ या पदवियाँ

वल्लभभाई पटेल जी गृहमंत्री के रूप में पहला व्यक्ति थे। जिन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं आई सी एस का भारतीयकर करके उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं आईएएक बनाया। प्रत्यक्ष ब्रिटिश शासन के अधीन था, लगभग 565  स्वशासी रियासतों द्वारा ब्रिटिश अधिपत्य से मुक्त कर लिया गया था। सरदार वल्लभ भाई पटेल को  मरणोपरांत वर्ष 1991 ईस्वी में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। यह अवार्ड इनके पौत्र विपिन भाई पटेल के द्वारा स्वीकार किया गया था। आधुनिक अखिल भारतीय सेवा प्रणाली की स्थापना के लिए उन्हें "भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक संत" के रूप में याद किए जाते हैं। सरदार वल्लभाई पटेल 31 अक्टूबर 2013 को उनकी 137वी जयंती के अवसर पर गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार पटेल जी के स्मारक का शिलान्यास किया था। वल्लभ भाई पटेल जी की यादों को ताजा रखने के लिए अहमदाबाद के  शाहीबाग में  सरदार वल्लभभाई पटेल मेमोरिल सोसाइटी में वल्लभभाई पटेल की थ्री डी संग्रहालय तैयार किया गया है।

वल्लभ भाई पटेल देश भक्त के रूप में

नवंबर 1917 ईस्वी में गांधीजी से पहली बार सीधे संपर्क में आए थे । सन 1918 ईस्वी में सरकार द्वारा अकाल प्रभावित खेड़ा जिले में वसूले जा रहे हैं लेड रेबुन्यु के विरुद्ध "नोट एक्स" आंदोलन का सफल नेतृत्व कर के वसूली को माफ करवाये। सन 1919 ईस्वी में गुजरात सूबे की कॉलेज कमीटी में परिवर्तित कर दिए जिसके सचिव पटेल रहे हैं अथवा अध्यक्ष महात्मा गांधी बने थे। सन 1920 ईस्वी में असहयोग आंदोलन में सरदार पटेल ने स्वदेशी खादी, कुर्ता,धोती अथवा चप्पल अपनाए तथा विदेशी कपड़े की होली जलाई गई गई। सन 1920 ईस्वी में भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के 36वे अहमदाबाद अधिवेशन की स्वागत समिति के अध्यक्ष बने थे। 

वल्लभभाई पटेल ने एक वकील के रूप में कमजोर अथवा अंग्रेज न्यायाधीशों को चुनौती देकर विशेष स्थान अर्जित किए अगस्त 1910 ईस्वी में उन्होंने लंदन की यात्रा की। वहां पर उन्होंने मनोयोग से अध्ययन किये और अंतिम परीक्षा में उच्च प्रतिष्ण के साथ  उत्तीर्ण हुए। फरवरी 1913 ईस्वी में भारत लोटकर वल्लभ भाई पटेल अहमदाबाद से ही बस गए थे, अथवा तेज से उन्नति करते हुए अहमदाबाद  अधिवक्ता बाट में अपराध कानूनों के अग्रणी बैरिस्टर बन गए। सन 1917 तक वह भारत की राजनीतिक गतिविधियों के प्रति उदासीन रहे थे। 1945 - 1946 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए वल्लभ भाई पटेल जी  एक प्रमुख उम्मीदार थे, परंतु इस बार भी गांधी जी के नेहरू जी प्रेम ने उन्हें अध्यक्ष नहीं बनने दिये।  महात्मा गांधी जी के प्रति वल्लभ भाई पटेल की अटूट श्रद्धा थी। वल्लभभाई पटेल जी बिजनेस के प्रति नरम रुख रखने वाले घाटी हिंदू था। 

नेहरू जी से उनका संबंध काफी मधुर था, परंतु कई मसलों पर दोनों के मध्य मतभेद भी था। कश्मीर के मसले पर दोनों के विचार काफी भिन्न था। कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र को अध्यक्ष बनाने के सवाल पर वल्लभभाई पटेल ने नेहरू जी का विरोध किए थे। भारत तथा पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय आधार पर मामलों को निपटाना चाहता था। सन 1908  ईस्वी में वल्लभभाई पटेल जी की पत्नी की मृत्यु हो गई थी। उस वक्त उनका एक पुत्र अथवा एक पुत्री थी। इसके बाद उन्होंने विधूर जीवन व्यक्ति किया था। सरदार वल्लभ भाई पटेल जी का 15 सितंबर 1950 ईस्वी को 75 वर्ष की आयु में उनका मृत्यु हो गया था। उनकी अनुपम देश सेवा के लिए सारे के सारे राष्ट्र सदैव कृतज्ञ रहेगा।

Post a Comment

0 Comments