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पंडित जवाहरलाल नेहरू: Pandit Jawaharlal Nehru ka Jeevan Parichay

पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रारंभिक जीवन

पंडित जवाहरलाल नेहरु जी भारत देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म 14 नवंबर 1889 ईसवी को इलाहाबाद (प्रयागराज) मैं हुआ था। नेहरू जी के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, अथवा उनके माता का नाम स्वरूपरानी था। उनके माता एक उदार विचार वाली थी। नेहरू जी के पिता एक वकील थे। वे उत्तर प्रदेश राज्य के रहने वाले था। बचपन में उनका पालन- पोषण एक राजकुमार के तरह हुआ था। इनके अलावा इनके परिवार में इनकी तीन बहने भी थी। उनकी आरंभिक शिक्षा घर से ही हुई थी। उन्हें पढ़ाई के लिए प्रतिदिन अंग्रेजी शिक्षक उनके घर पर ही आते थे। 1904 ईसवी में मात्र 15 वर्ष की वायु में अपनी पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। नेहरू जी भी अपने पिता जी के जैसे एक वकील बने। उसके पिता की इच्छा थी कि उनका पुत्र उनके तरह एक वकील बने। 

Pandit Jawaharlal Nehru ka Jeevan Parichay

पंडित जवाहरलाल नेहरू सामाजिक जीवन 

नेहरू जी भारत के स्वतंत्रता संग्रह में शामिल हुए और ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़े। नेहरू जी ने देश-विदेश के नामी विद्यलियो एवं महाविद्यालयों मे शिक्षा प्राप्त किया था। उन्होंने हैरो से स्कूल की प्रारंभिक शिक्षा एवं ट्रिनिटी कॉलेज लंदन में लॉ की डिग्री प्राप्त किए थे। 7 वर्ष इंग्लैंड में रहकर उन्होंने फेबियन समाजवाद एवं आयरिश राष्ट्रवाद की जानकारी विकसित किए थे। नेहरू जी 'गुलाब का फूल' बहुत पसंद करते थे, जिसे वो अपने शेरवानी में लगाकर रखते थे। नेहरू जी की एक बेटी भी थी। जिनका नाम था, इंदिरा गांधी। इंदिरा गांधी अपने पिताजी को अपना गुरु मानती थी। इंदिरा गांधी मैं बचपन से ही देश की आजादी की लड़ाई को उन्होंने बहुत करीब से देखा था। इंदिरा गांधी जी आजाद भारत देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी थी। भारत जैसे देश को आगे बढ़ाने और मजबूती देने में इंदिरा जी का मुख्य योगदान था।


पंडित जवाहरलाल नेहरू राजनीतिक जीवन 

1912 में जब नेहरू जी भारत लौटकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बैरिस्टर के रूप में कार्यरत हुए। नेहरू जी ने 1916 इसवी में उन्होंने कमला नामक युवती से विवाह कर लिया। नेहरू जी ने 26 वर्ष की आयु में विवाह कर लिया था। 1917 इसवी में वे होम - रूल - लीग से जुड़ गए। 1920 - 1922 इसवी में गांधी जी के द्वारा किए गए 'असहयोग आंदोलन' में नेहरू जी ने सक्रिय रूप से हिस्सा ले लिया। उस वक्त नेहरू जी पहली बार जेल गए। नेहरू जी जो थे वो 9 बार जेल गए थे। 1924 इसवी में इलाहाबाद नगर - निगम के अध्यक्ष के रूप में 2 वर्षों तक शहर की सेवा किए थे। 1926 इसवी में उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था। 1920 - 1928 तक नेहरू जी 'अखिल - भारतीय- कांग्रेस' के महासचिव भी बने। 1929 दिसंबर को नेहरू जी की अध्यक्षता में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन 'लाहौर' में किया गया, इसमे सभी ने एकमत होकर 'पूर्ण स्वराज' की मांग का प्रस्ताव पारित किया। गांधी जी को नेहरू जी में भारत देश का एक महान नेता नजर आया। नेहरू जी जो थे वे खुद पुस्तक पढ़ने की रुचि को पैदा किए थे। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू जी ने देश के लिए कड़ी मेहनत की। नेहरू जी देश के युवाओं को भी मेहनत करने के लिए प्रेरित किए उन्होंने ही देश को "आराम हराम है" का नारा दिया था। नेहरू जी का मानना था, कि मेहनत करने से जो फल मिलता है वही सबसे ज्यादा मीठा होता है।

 

पंडित जवाहरलाल नेहरू और भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष 

1915 इसवी में नेहरू जी कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार शामिल हुए थे। 26 जनवरी 1930 इसवी में लाहौर में शाम के 4:00 बजे नेहरू जी ने स्वतंत्र भारत का ध्वज लहराया था। 1936 - 1937 में नेहरू जी की कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1942 इसवी में गांधी जी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन के बीच नेहरू जी को गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके बाद वह 1945 इसवी में जेल से बाहर आए। 1947 में भारत एवं पाकिस्तान की आजादी के समय नेहरु जी ने सरकारों के साथ बातचीत में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाया गया। लेकिन गांधीजी के आग्रह पर जवाहरलाल नेहरू को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। उसके बाद नेहरू जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे। नेहरू जी अपने आस-पड़ोस के देश चीन और पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए हमेशा से प्रयासरत रहे थे। उनकी सोच थी कि हमें अपने आस-पड़ोस के अपने सामान प्रेम रखना चाहिए। नेहरू जी ने एक बार चीन से मित्रता के लिए हाथ भी बढ़ाया लेकिन, 1962 ईसवी में चीन ने मौके का फायदा उठाकर धोखे से आक्रमण कर दिया। नेहरू जी इस धोखे को सहन नहीं कर पाए और उसे "हार्ट अटैक" आ गया, और उसकी मृत्यु 1964 इसवी को नई दिल्ली में हुआ था। नेहरू जी की आकस्मिक मृत्यु से देश में उनके निधन का शोक छा गया था अधपि वे आज हमारे बीच में नहीं है। किंतु उनकी मधुर स्मृति कभी ओझल नहीं हो जाते हैं। उनकी मौत भारत देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति थी।


पंडित जवाहरलाल नेहरू चाचा नेहरू के रूप में

नेहरु जी को बच्चों से बहुत ज्यादा प्यार था। बच्चे भी उनसे प्यार करते थे,अथवा उन्हें प्यार से "चाचा नेहरू" कहकर पुकारते थे। नेहरू जी को बच्चों से बहुत ज्यादा लगाव था, इसलिए उनके जन्मदिन को हर साल बाल दिवस के रूप में मनाया गया है। नेहरू जी हमेशा कहते थे कि बच्चे राष्ट्र का एक भविष्य है और इसलिए उनकी पालन- पोषण प्यार अथवा स्नेह से की जानी चाहिए। यह कारन है की प्रयेक वर्ष 14 नवम्बर को उनके जन्म दिन के उपलक्ष पर बाल दिवस मनाया जाता है। 


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